क्रिकेट की दुनिया में भारत सबसे ताकतवर देश है और यहां क्रिकेटर्स बाकी खिलाड़ियों के मुकाबले काफी ज्यादा पैसे कमाते हैं। मामला प्राइज मनी का हो, मैच फीस का हो या फिर विज्ञापनों और नौकरी के जरिए होने वाली कमाई का इनकी जेबें हमेशा भरी रहती हैं, लेकिन भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम के लिए यह बात नहीं कही जा सकती।
पिछले साल ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली और हाल ही में इंग्लैंड में T-20 और वनडे खेलकर लौटी टीम के ज्यादातर खिलाड़ियों के पास काम नहीं है। उदाहरण के तौर पर इंग्लैंड दौरे पर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ रहे केतन पटेल के कई आवेदनों के बाद भी गुजरात सरकार ने उन्हें नौकरी नहीं दी है। इस उदाहरण से खेलों में करियर बनाने की बात सोच रहे विकलांग खिलाड़ियों को निराशा ही हाथ लगेगी।
केतन पटेल फिलहाल अपने खेत में काम करते हैं और चार महीने में करीब 25 हजार रुपए कमाते हैं। इसके मुकाबले भारतीय क्रिकेटर किसी मैच में ‘मैन ऑफ द मैच’ का अवॉर्ड मिलने पर ही 1 लाख रुपए कमा लेते हैं। पटेल ने एक इंटरव्यू में मिड-डे से कहा, ‘सफलता गंभीर प्रयास और कड़ी मेहनत से आती है। हां, मैं अपनी सफलता से खुश हूं, लेकिन मुझे कई और चीजों के बारे में भी सोचना पड़ता है।’
पटेल का कहना था कि, ‘अब मुझे नौकरी की उम्मीद भी नहीं है, क्योंकि इतने सालों से मैंने कोशिश करके देख लिया। पांच महीने पहले वर्ल्ड कप जीतने के बाद मुझे लगा था कि कुछ अच्छा होगा, लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं की।’