बिंदेश्वरी और अजय का अकेलापन यूं हुआ खत्म

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एकाकी जीवन गुजार रहे दुर्ग के विधवा-विधुर बंधे परिणय सूत्र में, चुना नया जीवन

बिंदेश्वरी का पति पुलगांव स्थित ब्रांस मेटल के लिए काम करता था। बीमारी के कारण उसका निधन हो गया। तब से बिंदेश्वरी उपेक्षा झेलती हुई जीवन यापन कर रही थी। उसके अकेलेपन की पीड़ा को देखकर कुछ दिन पहले वे उसे अपने घर ले आए। तब से उसका घर दोबारा बसाने के प्रयास में लगे थे।

प्रमोद ब्रह्मभट्ट/दुर्ग

लंबे समय से एकाकी जीवन गुजार रहे विधवा एवं विधुर ने सामाजिक सहमति से विवाह कर नए जीवन की शुरूआत की। गुरुवार को एक सादे कार्यक्रम में गयानगर, दुर्ग की बिंदेश्वरी दुबे 42 साल और धमतरी के अजय शुक्ला 44 साल ने मंदिर विवाह में परिणय सूत्र में बंधे और एक दूजे को जीवन साथी चुना।
संतोषी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शादी
नगर निगम के पार्षद दिनेश देवांगन और वार्डवासियों के सहयोग से संतोषी मंदिर में पंडित सजीवन शर्मा उर्फ लाला महाराज ने दोनों की विधि विधान एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शादी करवाई। दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई और अजय शुक्ला ने बिंदेश्वरी की सूनी मांग भरी। इस शादी में बिंदेश्वरी के धर्मभाई श्यामप्रसाद द्ववेदी का विशेष योगदान रहा।
बीमारी के कारण पति का निधन
उन्होंने बताया कि बिंदेश्वरी का पति पुलगांव स्थित ब्रांस मेटल में कमा करता था। बीमारी के कारण उसका निधन हो गया। तब से बिंदेश्वरी उपेक्षा झेलती हुई जीवन यापन कर रही थी। उसके अकेलेपन की पीड़ा को देखकर कुछ दिन पहले वे उसे अपने घर ले आए। तब से उसका घर दोबारा बसाने के प्रयास में लगे थे।
दोनों के जीवन की कहानी एक जैसी
काफी प्रयास और रिश्तेदारों से बात करने पर धमतरी में रिश्ते का पता चला। अजय शुक्ला के परिजनों से बात हुई। बात आगे बढ़ी। अजय ने भी हां कर दी। दोनों के जीवन की कहानी एक जैसी है। अजय की पत्नी का निधन 13 साल पहले हो गया था। दोनों की कोई संतान नहीं है।
सबका सहयोग और आशीर्वाद मिला
अजय ने बताया कि बिंदेश्वरी के बारे में बताया तो पहले समझ नहीं आया क्या करूं। दोनों की कहानी एक जैसी थी। फिर मैंने हां कर दी। बिंदेश्वरी ने कहा कि पहले मेरे धर्मभाई ने समझाया तो अटपटा लगा। अब नए जीवन की शुरूआत कर अच्छा लग रहा है। सबका सहयोग और आशीर्वाद मिला। खुशी हो रही है।

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