बीमारियों से बचने के लिए करें आहार में इन चीजों को शामिल

0
370

Natural-Foods

स्वस्थ रहने और समय से पहले बुढ़ापे से बचने के लिए लोगों को एक संतुलित आहार की तलाश रहती है। लेकिन भारत में एक नई खोज हुई है कि अगर आप जीवनशैलीगत बीमारियों से बचते हुए स्वस्थ रहना चाहते हैं तो अपने पाषाणकालीन पूर्वजों जैसा भोजन करें। अब तक पाषाणयुगीन आहार के महत्व पर केवल पाश्चात्य जगत में ही चर्चा की जाती थी। लेकिन दुबले होने की चिंता से पीड़ित भारतीय युवा वर्ग को भी अब यह सोच आकर्षित करने लगा है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हर किसी के लिए एक तरह के आहार की सिफारिश करना गलत होगा, लेकिन हम हर किसी के लिए पाषाणयुगीन खानपान से काफी कुछ ले सकते हैं।

दिल्ली की मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की प्रमुख (पोषण व खानपान) रितिका समाद्दार का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे पूर्वजों का भोजन रेशे (फाइबर) और पोषक तत्वों से भरपूर था जिससे वे काफी स्वस्थ रहते थे और बुढ़ापा भी उनमें देर से आता था। लेकिन आजकल हमलोग जो खाना खा रहे हैं उसमें फाइबर कम और सोडियम ज्यादा होता है। यही कारण है कि मधुमेह से लेकर हृदय संबंधी रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए हमें पाषाणयुगीन खाद्य सामग्रियां जैसे सभी तरह की सब्जियां, फल और शाक से भरपूर भोजन लेना चाहिए।

फोर्टिस की आहार विशेषज्ञ सीमा सिंह ने बताया कि फल और सब्जियां एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो हमारे शरीर से फ्री रेडिकल्स के दुष्प्रभाव को दूर करते हैं। एंटीआक्सिडेंट जैसे विटामिन सी और ई या केरोटेनोइड फ्री रेडिकल्स से होनेवाली हानि से हमारी कोशिकाओं को बचाती है। दूसरे प्राकृतिक एंटीआक्सिडेंट में फ्लेवोनाइड, फेनोल्स और लिगनांस आदि हैं।

पाषाणकालीन भोजन में दूध और दूध से बने पदार्थो के उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है। यह कहना है बीएलके सुपर स्पेशियलटी अस्पताल की मुख्य आहार विशेषज्ञ सुनीता रॉय चौधरी का। वहीं आहार विशेषज्ञ मीरा रॉय बताती हैं कि आजकल लोग बहुत ज्यादा तनाव में रहते हैं इसलिए उच्च कैलोरी वाले आहार ग्रहण करते हैं जो कि संतुलित नहीं होते। रॉय ने बताया कि कच्चे, उबले और सेंके हुए खाद्य पदार्थ ही सबसे अच्छे होते हैं। यह हमें स्वस्थ और बुढ़ापे को दूर रखते हैं।