मंथन का जो मुख्य उद्देश्य है अपनों से जुड़ना, उसमें हम काफी हद तक सफल दिख रहे थे: अजय ‘बाबा

2
1522

अथश्री काशी मंथन 5 कथा

अजय शर्मा ‘बाबा’, तिलौली, देवरिया, UP/BBW एडमिन, उपाध्यक्ष, काशी मंथन

आज से लगभग छः महीने पूर्व ही एडमिन टीम ने काशी मंथन के आयोजन की योजना के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव रखा। चूंकि, कोरोना की वजह से मंथन आयोजन लगातार दो वर्षों से बाधित था, ऐसे में काशी मंथन के आयोजन को लेकर निर्णय लेना हमारी बीबीडबल्यु टीम के लिए आसानी भरा निर्णय नहीं था।
BBW के संस्थापक श्री राय तपन भारती जी बेहद नाजुक बुरे दौर से गुजर रहे थे। निर्णय और तैयारी के बाद मंथन आयोजन से ठीक एक महीने पहले हमारे अध्यक्ष महोदय श्री आनन्द राज जी तो मंथन आयोजन के ठीक चार दिन पहले हमारे वरिष्ठ एडमिन श्री देवरथ जी पर दुःखो का पहाड़ टुट पड़ा।     

एक बार तो लगा कि हमें काशी मंथन का आयोजन स्थगित ही करना होगा। मंथन आयोजन से ठीक पहले स्थानीय निकाय के चुनावों की अधिसूचना की तलवार ने हमें बुरी तरह विचलित किया तो आयोजन के ठीक चार पांच दिन पहले से कोरोना की खबरों ने हमारे विश्वास को डीगा दिया। लेकिन पूरी टीम के जज़्बे और आशावादी सोच ने आगे बढ़ने को प्रेरित किया। और जब हम एक बार निर्णय कर चुके थे तो पीछे हटने के सवाल को हमने खारिज़ करते हुए दरकिनार कर दिया।
हमारी तैयारियां चरम पर उत्साहित भाव लिये तैयार थीं। पुरी टीम ने भगवान भोलेनाथ को स्मरण कर  आगे के कार्यों में उनके आशीर्वाद के साथ मंथन कार्य जारी रखा।     

देखते देखते 20 दिसंबर का दिन आ गया था। मंथन आयोजन की उल्टी गिनती आरंभ हो गई थी। हमारे उत्साह में कोई कमी नहीं थी लेकिन आशंकाएं भी कम नहीं थीं। इसी कौतूहल गर्मजोशी और कई पूर्वाग्रह में इक्कीस और बाइस तारीख का दिन बीता। 23 तारीख को मंथन रजिस्ट्रेशन समूह पर स्वजनों ने काशी मंथन में सम्मिलित होने के लिए अपने गंतव्य स्थान से अपनी फोटो डालनी शुरू की तो जैसे काशी मंथन के लिये नव ऊर्जा संचारित होने लगी। अब यह उमंग हिचकोले मारते कर्म प्रयास के लिये और भी उत्साहित करने लगा।         

रजिस्ट्रेशन समूह पर लोगों के मंथन उत्साह ने हमें महीनों की मेहनत को सार्थक करने का आभास दिलाया। 23 और 24 तारीख को ऐसा लग रहा था कि जैसे पुरे भारत का भट्ट वंश प्रयागराज की जगह पर काशी के मंथन कुंभ में डुबकी लगाने के लिए आतुर हो चुका है।         

हमारे संस्थापक महोदय के साथ-साथ हमारे एडमिन टीम के सभी साथी 23 तारीख की शाम से ही काशी नगरी में प्रस्थान कर चुके थे। 24 दिसम्बर की सुबह तक सभी लोग काशी की पावन नगरी में पंहुच कर नवउत्साह से झूम रहे थे।           

इस बार का काशी मंथन आयोजन का बाकी चार मंथन से थोड़ा अलग था। इसके पहले के सारे मंथन का आयोजन, तय मंथन आयोजन समिति करती रहती आई थी। लेकिन इस वर्ष काशी मंथन का आयोजन लगभग पुरी तरह एडमिन टीम ने किया। इस बात का सबसे बड़ा सकारात्मक पक्ष यह रहा, हमें टीम के रूप में ऐसा लगा की मंथन और BBW अपने आप में एक विश्वसनीय ब्रांड बन चुका है। जिसकी सामाजिक विश्वसनीयता इतनी है कि हम कोई भी आयोजन करें तो हमारे स्वजन हमारे ऊपर भरोसा कर सकते हैं।         

खैर 25 दिसम्बर की सुबह हर सुबह से इतर एक नए अध्याय को रचने के लिये तैयार थी। हम सभी सुबह छः बजे तक रूद्राक्ष कन्वेंशन हाल पंहुच चुके थे। हमारे हावभाव में उत्साह तो था, साथ ही हममें से अधिकांश लोगों को मंथन के आयोजन का कोई अनुभव भी नहीं था। जो अनुभवी थे उनकी उपस्थिति ही हमारे लिए सबसे बड़ा संबल थी। हां यह जरूर है कि राय तपन भारती जी, प्रियंका राय जी,अमित रंजन जी और राकेश शर्मा जी जैसे वरिष्ठों के रहते हम नई सोच को प्रस्फुटित करते विश्वास से भी लबरेज थे।         

सात बजे के बाद तो स्वजनों का रेला ही उमड़ पड़ा। रजिस्ट्रेशन कांउटर पर आधे घंटे के लिए अफरातफरी भी मच गई। सभी को रुद्राक्ष में प्रवेश करने की जल्दी थी। हम सभी भी पुरी सजगता से लगे थे  कि किसी को रजिस्ट्रेशन कार्ड मिलने में देर ना हो। पूरी कोशिश थी सभी का स्वागत हो, सभी को सुबह का नाश्ता समय पर मिले और कार्यक्रम अपने तय समय पर आरंभ हो जाये।           लेकिन हमारा अंदाजा तब गलत निकला जब हमारा कार्यक्रम अपने तय समय से डेढ़ घंटे विलम्ब से आरंभ हुआ। संभवतः उत्तर भारत में सुबह के 9 बजे तक सभी का पंहुचना दिसम्बर के महिने में मुश्किल होता है, इसका अंदाजा लगाने में हमसे गलती हो चुकी थी।
फिर भी हमारा मंचीय कार्यक्रम आरंभ हुआ। वो कहते हैं कि जो गाड़ी विलंब से चालू होती है वो और भी विलंब होती जाती है। पुरे दिन भर कार्यक्रम चलते रहे। विलंब पर विलंब होता रहा। कुछ चीजें आशानुरूप हुईं तो कुछ जगहों पर निराशा भी हाँथ लगी। लेकिन हमारे या स्वजनों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। और मंथन का जो मुख्य उद्देश्य है अपनों से जुड़ना उसमें हम काफी हद तक सफल दिख रहे थे।

Founder Roy Tapan Bharati giving Appreciation certificates to women participants in BBW Kashi Manthan

लोग बाग रूद्राक्ष की गैलरी और हाल के भीतर भी एक दूसरे से मिलते रहे। अपनों से मिलने का उत्साह अपने चरम पर था। भावनाओं की भागीरथी अपने पुरे उफान पर थी। नये मानवीय और सामाजिक रिश्ते बनते रहे तो पुराने रिश्तों में गर्माहट भी कम नहीं बढ़ी।      लब्बोलुआब यदि मैं तटस्थ भाव से देखता हूं तो मुझे लगता है कि मंथन में शरीक होने वाले अधिकांश स्वजन व्यवस्था के स्तर पर संतुष्ट दिखे। बनारसी भोजन हर एक के लिये रुचिकर था।
अभी तक हमें मंथन की सफलता की बधाइयां मिल रहीं हैं। अपनों का प्यार देख कर हम धन्य धन्य हो गये। हम सभी पुरे भट्ट वंश के कितने कृतज्ञ हो चुके हैं। इसको बताने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं। महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी ने हमारा मान बढ़ाया। और मंथन के एक अहम पहलू को उजागर करते हुए उसे सार्थकता प्रदान की।         

यदि मैं मंथन आयोजन के लिए अलग अलग चीजों पर नम्बर देना चाहूं तो व्यवस्था के स्तर पर आनन्द राज जी सौ में से सौ नम्बर पाने के अधिकारी हैं। हमारी टीम के अभिभावक होने के नाते और विषम परिस्थितियों में भी डटे होने के नाते श्री राय तपन भारती जी की अगुवाई पर हमें सौ प्रतिशत भरोसा था और यह भरोसा कायम भी रहा। लेकिन हम मंथन के मंचीय आयोजन में पुरी तरह सफल नहीं हुए। समयाभाव के कारण सभी का परिचय सभी से नहीं हो पाया। इसकी टीस कितनी है शब्दों में बयान नहीं हो सकता। हमारी एडमिन टीम के कुछ सदस्यों ने अपना 100% दिया तो कुछ पीछे ही रह गए। इसका हमें एक टीम के रूप में खेद है।         

हम मंथन को और भी अच्छी तरह कैसे आयोजित कर सकते हैं इसपर गंभीरता से विचार मंथन चल रहा है। हमारा बीबीडबल्यु परिवार सामाजिक सरोकारों में किस तरह समाज की अगुआई कर सकता है यह विचार करने का विषय है। कार्यक्रमों के आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज को जागरूक करने के लिए होता है। हम इसमें कितने सफल हुए यह निर्णय अभी भविष्य के गर्भ में है।  मेरा व्यक्तिगत अनुभव है और विचार भी है कि BBW टीम को अब महिला हितों को ध्यान में रखते हुए हमारी सबसे वरिष्ठ एडमिन श्रीमती प्रियंका राय जी की अगुवाई में आगे बढ़कर कुछ करने की आवश्यकता है। प्रियंका जी के अनुभव का लाभ हमारे समाज की महिलाओं के लिए क्या मायने रखता है संभवतः हमें इसका तनिक भी अंदाजा नहीं है।
       सबसे अहम सवाल है कि हम एक सामुदायिक सोच और समझ को बढ़ाने में कितने सफल हुए? हमारे युवा, हमारी महिलाओं की प्रगति का रास्ता कैसे प्रशस्त हो? हम अपने आप को एक गौरवशाली समाज के रूप में अपने आप को कैसे स्थापित करें ? क्या इन सवालों के मर्म तक हमने पंहुचने की ईमानदारी से कोशिश की?       

मंथन की सफलता या असफलता की कहानी इन सवालों से हमें दो चार करती रहे तो विश्वास करें की हम एक सफल आयोजन करने में सौ फीसदी सफल हुए हैं।       हां तो फिर मिलते हैं अगले बरस एक अद्भुत मंथन के विलक्षण सभा में।आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!!

2 COMMENTS

  1. अब मंथन में नहीं जाने का दर्द कम हुआ, जब अपने आँखों देखी पूरे प्रोग्राम का वर्णन सुन्दर लेखनी के माध्यम से रख दिया। धन्यवाद 🙏आप महान हैं।

  2. शब्दों के द्वारा लेख में आपने बहुत ही खूबसूरत ढंग से काशी मंथन का चरित्र चित्रण किया। काशी मंथन हम सबके जहन में उतर गया ।🙏🙏

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here