याद रखिए, जिंदगी कर्म से चलती है इत्तेफाक से नहीं

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सफलता का सही मंत्र क्या है? (दूसरी किश्त)

यदि आपमें लगन है, हिम्मत है तो आप किसी भी विकट परिस्थिति में उसका सामना करते हुए सफलतापूर्वक बाहर निकल कर आगे आ सकते हैं। हमारी जिंदगी में ऐसी विकट परिस्थिति कई बार आई पर हिम्मत और धैर्य रखने के कारण हर बार संकट पर विजय मिली। 

रंजना राय/बंगलोर, एडमिन, ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ग्रुप।
अक्सर सुनने में आता है वह तो बहुत किस्मत वाले हैं मेरी तो किस्मत ही खराब है। दोस्तों, इतना समझ लीजिए कि जिंदगी में कोई भी चीज इत्तेफाक से नहीं होता बल्कि उसे करने से होता है। एक कहावत है “सपने वो साकार नहीं होते जिन्हें सोते हुए देखते हैं बल्कि सपने वह सच होते हैं जिसे पूरा किए बगैर नींद नहीं आती है।”
 
अपनी एक कहानी आपके साथ साझा कर रही हूं। 21 साल पहले की बात है। मैं और राजीव अपनी छोटी सी बिटिया को लेकर तिरुपति की यात्रा पर जाने वाले थे उसका मुंडन कराने। सारी तैयारी हो चुकी थी। अचानक शाम को बिटिया ने दूध की बोतल का निप्पल काटकर नाक में डाल लिया। मैं बहुत परेशान हो गई और मैं अनेक यंत्र इस्तेमाल किये पर निप्पल निकालने में असमर्थता ही हाथ लगी।
फिर मैंने डॉक्टर से बात की और उसे हॉस्पिटल ले गई। डॉक्टर काफी परेशान हुए और कहा, ऐसी स्थिति में बच्चे की जान भी जा सकती है। डाक्टर उसे आपरेशन थियेटर में ले गये और करीब 15-20 मिनट छोटी सी सर्जरी के उपरांत दो घंटे बाद हम उसे घर ले आए।
 
इसके बाद मेरे पति राजीब बोले, अब कल सुबह हम तिरुपति नहीं जाएंगे। पर मैंने कहा, जो मुसीबत थी वह तो टल गई। अब जाने में क्या है? आख़िरकार, हम खुशी-खुशी सुबह निकल पड़े। कुछ दूर जाने के बाद गाड़ी खराब हो गई। उस समय हमारे पास Armada Jeep हुआ करती थी जो company से मिली हुई थी। jeep का बेल्ट टूट गया , वीरान जगह, गांव का रास्ता दूर-दूर तक नहीं दिख रहा था।
 
राजीव बोले- अब तो हम वापस भी नहीं जा सकते। ऐसे वीरान जंगल में बेल्ट कहीं नहीं मिलेगा। तभी एक टायर शॉप दिखी और हम वहां गए तो उन्होंने कहा एक घंटे में जीप ठीक कर दूंगा। उन्होंने तत्परता दिखाई और हमारी गाड़ी फटाफट ठीक करने लगे। मैं अपनी बच्ची को गोद में लेकर बैठी थी। तभी मेरी नादान बेटी ने गाड़ी की चाबी घुमा दी और वह इंसान, जो गाड़ी ठीक कर रहा था, की सारी उंगलियां घायल हो गईं। राजीव वहां दौड़कर आए। मैं भी कार से उतरी। हम सब हताश और परेशान हो गए। एक क्षण के लिए डर भी लगा कि कहीं गांव वाले मारपीट करने न लगे। तुरंत ही राजीव उसे नजदीक के अस्पताल में ले गए। उसकी मरहम पट्टी कराई और कुछ पैसा दिया। आने के बाद इस हादसे के लिए हमने उनसे माफी मांगी।
 
ईश्वर की कृपा इतनी थी कि उन्होंने इज्जत के साथ हमें जाने दिया और हमारी गाड़ी भी ठीक कर दी। राजीव बहुत परेशान थे। उन्होंने कहा, हम वापस घर लौट जाएंगे। आज का दिन अच्छा नहीं है मैंने कहा, क्या होगा जो होना था हो गया वापस नहीं जाऊंगी।
 
आखिरकार 2 घंटे के अंतराल में हम तिरुपति पहुंच गए। बहुत ही खूबसूरत दर्शन हुआ। बच्ची का मुंडन करवा कर प्रसाद लेकर हम अपने कमरे में विश्राम करने आ गए। प्रातः उठकर जय गोविन्दा के दरबार से हम घर को रवाना हो गए। कहने का तात्पर्य है यदि आपमें लगन है, हिम्मत है तो आप किसी भी विकट परिस्थिति में उसका सामना करते हुए सफलतापूर्वक बाहर निकल कर आगे आ सकते हैं। हमारी जिंदगी में ऐसी विकट परिस्थिति कई बार आई पर हिम्मत और धैर्य रखने के कारण हर बार संकट पर विजय मिली। (शेष बातें तीसरी किश्त में)

फेसबुक पर आपने जो कमेंट लिखा: 

Vandana Kumari हिम्मत और सकारत्मक सोच के साथ किये गये काम जरुर सार्थक होते हैं! ईश्वर की इच्छा मानकर हम बहुत से कार्य नही करते लेकीन हमसभी उसे एसे भी सोंच सकते हैं के ईश्वर हमारी परीक्षा ले रहें हैं के हमारे अन्दर उनतक पहुँचने की कितनी दृढ़ इच्छाशक्ति है !!
एसे व्यक्ति की भगवान हमेशा मदद करते हैं !!!
 
Pankaj Kumar Sharma मन के हारे हार हैं/ मन के जीते जीत…..बिल्कुल सही बात कही आपने… विकट परिस्थिति में भी हमें धैर्य बनाए रखना चाहिए… विपत्ति से दूर भागना किसी समस्या का समाधान नहींहै… आज से 21 साल पहले जो कुछ हुआ उसका आप लोगों ने डटकर मुकाबला किया… आप लोगों ने ना सिर्फ विकट परिस्थिति में धैर्य और हिम्मत बनाए रखा… बल्कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के दर्शन किए और बेटी का मुंडन भी करवाया
 
Alok Sharma यह कहानी नहीं कर्म की अद्भुत व्याख्या है,जीवनपथ पर आने वाले तमाम प्रश्नो का एक मुकम्मल जबाब,और विकास पथपर निरन्तर अग्रसर होने की एक सास्वत सीख़ है!
अद्भुत शब्दों के सङ्गम वाले इस लेख के लिए आदरणीया रंजना जी को दिली साधुवाद के साथ शिखर की शोभा बनने की हार्दिक बधाई!
 
Pankaj Kumar Maharaj बिल्कुल सही कहा आपने आंटी । लगन से किया गया काम और उनसे जुड़ी कामनाओं का फलित होना हमारे कर्म, धैर्य व साहस का ही परिणाम है । आप अंकल-आंटी को मेरा प्रणाम स्वीकार हो। आप हमारे सामाज के एक उन्नत उदाहरण हैं जिन्होंने मेहनत से अपनी सफलता विकट परिस्थितियों मे भी अडिग रहें । वस्तुतः आज हम सब को फर्क है जो कल की परिस्थिति थी आज उसकी एक मिशाल हैं ।
 
Guriya Sharma मन के हारे हार है मन के जीते जीत आप केह सकते हैं कि अपनी मानसिक अवस्था मजगुत रखें हर परिस्थिति में. Positive की तरफ बढ़े
 
Pramod Prithvinath Bhatt परिस्थिति हमेशा स्वस्थिती से ही जीता जाता है। अपनी स्थिति अचल अडोल होना चाहिए। तुफान हमेशा तोफा देने ही आती है।सोच सकारात्मक है तो सफलता की 100% गारंटी है। पुरी श्रीमत भगवत गीता ही इसी उहापोह से निकलने का मार्ग बताती है।वही अर्जुन अपने रिश्तेदारों से युद्ध के लिए मना कर रहे थे,जैसे ही सत्य का बोध हुआ ,वैसे ही वो युद्ध के लिए तैयार हो गये।तो कहने का भाव यह है कि सफलता औऱ असफलता मन के हार औऱ जीत पर निर्भर है। जिसका मन हमेशा सर्व शक्तिमान से लगा हो उसे जीत से कोई भी नहीं रोक सकता है।
 
Roy Tapan Bharati रंजना रायजी। आपकी हर किश्त अच्छी और प्रेरक। हर परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए। आपमें धैर्य है तभी ईश्वर की कृपा आपके परिवार पर है।
 
Ganpati Maharaj वाकई दीदी आपमे गजब की जीवटता है।और आपने एक अच्छा पाठ अपने आपबीती के जरिये बताया कि परिस्थिति कितनी भी विषम क्यों न हो हमे पीछे नही मुड़ना चाहिए।
Pradeep Kumar बिलकुल सही बात हिम्मत ही सबसे बड़ी जीत की मन्त्र है। हिम्मत से आगे बढ़ते हुए सभी काम सफलता को प्राप्त होती है। बहुत ही सुंदर लेखन बहुत बहुत
 
Abha Rai Ranjana Roy जी सही है आपकीं बात। ऊपर वाला भी यही कहता है। खुद अपनी मदद कर ,खुदा भी करेगा
 
Mahendra Pratap Bhatt मनुष्य अपने विषम परिस्थिति को बुरा समय मान कर हथियार डाल देता है। यहीं वह ईश्वरी परीक्षा में असफल साबित होता है। हमारे ग्रंथों में और बुजुर्गो ने कहा है कि बिना कर्मयोग की भट्टी में तपे इंसान को कुछ नहीं मिलता।
यही बात आपके अपने अनुभव से भी सिध्द होती है। आपके इस बेहतरीन लेख की तीसरी कड़ी का बेसब्री से इंतजार है।
 
Parmanand Choudhary आपने सही लिखा है रंजना जी।विषम परिस्थिति में हिम्मत से काम लेना चाहिए।एक नालायक लड़के की चाहत में मेरे घर छ:(six) लायक लड़कियों ने जन्म लिया।सामने पहाड़ सी जिन्दगी नजर आ रही थी लेकिन पत्नी ने हिम्मत से काम लेते हुए घर में सिलाई बुनाई की स्कूल खोल दी ।तीस साल तक कड़ी मेहनत के बाद सभी बच्चियों को शिक्षा और व्यवशायिक शिक्षा देकर समय पर सभी का विवाह सम्पन्न हुआ।ईश्वर कृपा से सभी सुखी हैं।
 
Kshitij Bhaswar हिम्मते मर्दा मददे खुदा।
हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
 
Bindu Kumari आपने बिल्कुल सही लिखा है की अक्सर लोग ये कहते हैं कि आप भाग्यशाली हो जो आपको ये कामयाबी हासिल हुई। पर इस कामयाबी के पीछे आपने कितना त्याग किया, कितनी मेहनत की, कितना धैर्य रखा, कितने लोगों के व्यंगय-वाण सहे, वो कोई नही देखता है। पर ये सच है अगर आप विपरीत परिस्थिति में भी अपने आपको धैर्यवान और अपने चेहरे पर मुस्कुराहट बनाये रखा तो सफल होना निश्चित है।
 
Panna Shrimali आपका आत्मबल सभी के लिए प्रेरणास्रोत है 🙏
 
Shalini Sharma सबसे बड़ी बात कर्म करिए पर, इससे भी इन्कार नहीं – होइहें वही जो राम रचि राखा 🙏
 
Kiran Singh रंजना जी विपरीत परिस्थितियों मे अगर ईश्वर अगर हमारे अच्छे कर्म के कारण साथ रहते है तो आगे बढने का ज्ञान भी और शक्ति भी वही देते हैं
 
Giridhari Maharaj जो सहते हैं वही रहते हैं कभी कभी भगवान भी परीक्षा लेते हैं
 
Sandhya Bhatt रंजना दी। आपकी हर किश्तवार लेख से, आज के नवयुवकों को एक उर्जा और प्रेरणा मिलती है, परिस्थिति चाहे जो भी हो आदमी को हमेशा दृढ़ संकल्पित होना चाहिए, तभी अपनी मंजिल और मुकाम हासिल कर पाएंगे इस प्रेरणादायी लेख के लिए आपको साधुवाद
 
Rakesh Sharma वाह बहुत सुन्दर पोस्ट।दुसरी किस्त भी बहुत प्रेणनादायक रही।कहने का अर्थ की हमें कभी भी हिम्मत हारनी नहीं चाहिए।संघर्ष जितना विकट होगा, जिवन उतना सुखमय होगा।🙏
 
Deorath Kumar लाज़वाब और कइयों के आँख खोलने और प्रोत्साहित करने वाला पोस्ट।
 
Kamlesh Kumar मान सम्मान स्वाभिमान से जीने का एकमात्र उत्कृष्ट तरीका है इमानदारी पूर्वक निष्ठा के साथ अपने कर्म को निरंतर आगे की तरफ बढ़ाते रहें ओजस्वी लेख के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद एवं नमस्कार
 
Shiv Shankar Kumar “ज़िन्दगी के लिये कर्म प्रधान है भाग्य,इत्तेफाक, संजोग सहायक।स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था”एक हाँथ से कर्म करे,दूसरे से आराधना, बाकी ऊपर वाले पर छोड़ दें।”
 
Dwarika Prasad Sharma आत्मबल के बिना कोई भी अच्छा कार्य सम्भव ही नहीं है।
 
Ram Sundar Dasaundhi धैर्यपूर्वक परिस्थितियों का सामना करने से ही लक्ष्य की पूर्ति होती है…… आपने सिद्ध कर दिखाया।बेहतरीन प्रस्तुति।
 
Dharmendra Ray जहां चाह है वहां राह हैन हार में न जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं कर्तव्य पथ पर प्रधान अमर मिले तो स्वीकार नहीं मेरे हित में.
 
Shibendra Kumar Sharma बहुत ही बढ़िया सकारत्मक रह कर ही किसी भी मिशन को हम कम्पलीट कर सकते हैं साथ मे साहस भी
 
Rakesh Nandan आपने सही कहा। हर पथ पर परेशानी एवं रूकावटें आती हैं। कुछ उन रुकावटों के सामने लाचार हो कर बैठ जाते हैं और कुछ उन्हें दूर कर मंज़िल हासिल करते हैं।

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