अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का फायदा भारत की दवा कंपनियों को

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भारत जेनरिक दवाओं का निर्यात करने वाला प्रमुख देश है। साल 2017-18 में भारत ने 1,200 अरब रुपये की दवाओं का निर्यात किया। आयात करने वाले देशों में अमेरिका व यूरोप भी हैं। लेकिन इसमें से केवल 1 % ही चीन को निर्यात हुआ जो कि दवाओं के मामले में दुनिया का दूसरा बड़ा बाजार है।

नई दिल्ली: चीन भारत की दवाओं को मंजूरी देने जा रहा है। कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत की कंपनियां चीन में जेनरिक दवाओं, सॉफ्टवेयर, चीनी और चावल का व्यापार करना चाहती हैं और चीन भारतीय कारोबारियों केे लिए नया रास्ता खोल रहा है।
 
चीन के साथ कारोबार बढ़ाने के प्रयास में शामिल एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हमें लगता है कि चीन इस वक्त शर्तों को स्वीकार करने की स्थिति में है और वह कीमतों को भी प्रतिस्पर्धी बनाएगा।’ दोनों देशों के अधिकारियों के मुताबिक अभी तक किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं लेकिन भारत की दवाइयों की चीन में बिक्री को अच्छे संकेत मिल रहे हैं।
 
भारत दुनियाभर में जेनरिक दवाओं का निर्यात करने वाला प्रमुख देश माना जाता है। साल 2017-18 में भारत ने 1,200 अरब रुपये की दवाओं को निर्यात किया। आयात करने वाले देशों में अमेरिका और यूरोपीय देश भी शामिल
हैं। लेकिन इसमें से केवल 1 प्रतिशत ही चीन को निर्यात किया गया जो कि दवाओं के मामले में दुनिया का दूसरा बड़ा बाजार है।
 
फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के प्रमुख दिनेश दुआ ने कहा कि अगले 6 महीने में भारतीय दवा कंपनियों को चीन से व्यापार करने का लाइसेंस मिल सकता है। उन्होंने बताया, ‘हमें जानकारी है कि चीन ने निर्देश दिए हैं कि यूरोपीय यूनियन द्वारा मंजूर कंपनियों को चीन में भी व्यापार करने का लाइसेंस दिया जाए।’

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