बिहार में एक गार्ड को मिला साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार

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उमेश को इस पुरस्कार के साथ 50,000 रुपए की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी और उमेश ने उसे शहीद सैनिकों के बच्चों की मदद के लिए सरकारी कोष में जमा कराने का निर्णय लिया है।

मधुबनी,बिहार। नवटोली गांव के चौकीदार उमेश पासवान को उनके काव्य संग्रह ‘वर्णित रस’ के लिए मैथिली भाषा में साल 2018 का साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार मिला है। उमेश बिहार के मधुबनी जिले के लौकही थाने में बीते 9 साल से चौकीदारी कर रहे हैं, उनका कहना है कि, “हम गांव के माहौल में जो देखते हैं, वह लिख देेते हैं”। पुरस्कार मिलने की बात पर वह कहते हैं कि, “पुरस्कार मिला इसकी खुशी है, लेकिन मैं आत्म-संतुष्टि के लिए लिखता हूं” विज्ञान से स्नातक उमेश अपने गांव में एक नि:शु्ल्क शिक्षा केन्द्र भी चलाते हैं।

उमेश के गांव के लोग कविता या साहित्य को नहीं समझते, उमेश ने कहा कि, “साहि्त्य अकादमी यहां कोई नहीं समझता, हम मधुबनी, दिल्ली, पटना सब जगह अपनी कविता सुनाते हैं लेकिन गांव में कोई नहीं सुनता। तब हमने कांतिपुर एफएम और दूसरे रेडियो स्टेशनों पर कवित भेजनी शुरू की ताकि कम से कम वहां के श्रोता मेरा कविता सुन सकें”

उमेश को इस पुरस्कार के साथ 50,000 रुपए की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी और उमेश ने उसे शहीद सैनिकों के बच्चों की मदद के लिए सरकारी कोष में जमा कराने का निर्णय लिया है।
सामान्य शिक्षा-दीक्षा के बाद पुलिस थाने में बतौर चौकीदार पद पर पहुंचे 33 साल के उमेश पासवान को मैथिली काव्य संग्रह ‘वर्णित रस’ के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार मिलने जा रहा है। अकादमी ने घोषणा कर दी है। यह सम्मान नवंबर में मिलेगा। उमेश खुश हैं।
उमेश की रचना में बाढ़ की विभीषिका पर दिल को छू लेने वाली कविताएं हैं। मधुबनी, बिहार के खुटौना प्रखंड अंतर्गत रामपुर बटेरमारी गांव के अत्यंत निर्धन व दलित परिवार में जन्मे उमेश पासवान का पालन-पोषण ननिहाल लौकही प्रखंड के औरहा गांव में हुआ और ये यहीं के होकर रह गए। अपने समाज की अशिक्षा, उसका शोषण, पिछड़ेपन का दर्द उमेश को बचपन से सालता था। मैथिली में एक कथा संग्रह मनक बात को अंतिम रूप देने में ये जुटे हैं।
 

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