कैंसर’ से जूझ रही श्रेया को इलाज के लिए चाहिए 4 लाख रुपए

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भुवनेश्वर। सुशांथि नायक अकेले ही अपनी बेटी को पाल रही हैं और पूरी दुनिया में उनका उनकी बेटी के अलावा और कोई नहीं है। तीन महीने पहले उन्‍होंने देखा कि उनकी छोटी सी बेटी श्रेया की बाईं आंख में सफेद दाग पड़ रहा था। उस समय तो उन्‍हें इसका कारण पता नहीं चला।
15 दिन पहले सुशांथि अपने काम से घर लौटी थीं और उस समय उसकी बेटी खेल रही थी। वो वहीं रूक गई और अपनी बेटी को देखने लगी। तब उसने नोटिस किया कि उसकी बेटी की आंख का वो दाग बढ़ रहा है। वो तुरंत अपनी बेटी को लेकर स्‍थानीय चिकित्‍सक के पास गईं और उनके कहने पर कोलकाता के एक अस्‍पताल में जांच करवाई। उस समय सुशांथि को पता चला कि उसकी बेटी को ‘रेटिनोब्‍लास्‍टोमा’ यानि ‘आंखों का कैंसर’ है।
 
श्रेया को है आंख का कैंसर
सुशांथि ने अपनी ज़िंदगी में बहुत मेहनत की और वो उड़ीसा के जयपुर जिले के मंगलपुर गांव में रहती है। यहीं उसका बचपन भी बीता है। यहां पर लड़कियों को पढ़ाई और करियर बनाने के लिए बहुत कम अवसर मिलते हैं। हालांकि, सुशांथि ने बहुत मेहनत कर नौकरी हासिल की और अब वो एक प्राइवेट स्‍कूल में टीचर के तौर पर काम कर रही हैं। महीने में वो 15 हज़ार रुपए कमा लेती हैं। कोलकाता में श्रेया के डॉक्‍टर ने कहा कि वो उसका इलाज नहीं कर सकते और उन्‍हें श्रेया को चेन्‍नई के अपोलो अस्‍पताल ले जाना पड़ेगा। अभी श्रेया की कीमोथेरेपी चल रही है। ट्यूमर निकालने के लिए उसे चार सेशन लेने पड़ेंगे।
 
इलाज के लिए चाहिए 4 लाख रुपए
इलाज का एक साइकल पूरा हो चुका है और शुरुआती इलाज का खर्च 1 लाख रुपए था लेकिन सुशांथि ने डॉक्‍टर्स से दरखास्‍त की कि वो अकेली ही अपनी बेटी को पालती है और उसके पास इतने पैसे नहीं हैं। तब जाकर डॉक्‍टर्स ने इलाज का खर्च घटाकर 50 हज़ार रुपए कर दिया। लेकिन अभी भी उसे बची हुई तीन साइकल में हर सेशन के लिए 70 हज़ार रुपए भरने हैं। अस्‍पताल में रहने का खर्च, दवाओं और डॉक्‍टर की फीस मिलाकर 4 लाख रुपए का खर्च है। अपनी बचत और रिश्‍तेदारों से पैसे उधार लेकर सुशांथि ने पहली साइकल के पैसे तो भर दिए लेकिन अब उसे चेन्‍नई से मंगलपुर आने के लिए परिवहन का खर्च सता रहा है। हालांकि, अभी उसकी लड़ाई बहुत लंबी है। श्रेया के इलाज की सारी ज़िम्‍मेदारी अकेले सुशांथि पर है और वो चाहती है कि उसकी बेटी श्रेया को बचाने में आप भी उसकी मदद करें। आपकी छोटी सी मदद भी उसके इस संघर्ष में बहुत काम आएगी।
(साभार: https://www.oneindia.com/)

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