चीन का सीमा-विवाद पाक को छोड़कर 18 मुल्कों से

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दलाई लामा का खौफ चीन पर हर समय मंडराता रहता है। महज 20 लाख की आबादी वाले अफ्रीकी देश-बोत्सवाना ने दलाई लामा को अपने यहां आमंत्रित किया है। इस छोटे मुल्क के न्योता से चीन बौखला गया है। बीजिंग ने इस पर मौन रहने के बजाय अजूबा कमेंट किया है।

राय तपन भारती, संपादक, चीन की गतिविधियों पर नजर रखने का शौक

चीन अकेले भारत से ही नहीं भिड़ रहा है। दुनिया के कई मुल्कों से उसका संघर्ष और तनाव जारी है। पाकिस्तान को छोड़कर चीन के 18 पड़ोसी मुल्कों से सीमा विवाद है। लंबे समय से चला आ रहा है। दलाई लामा का खौफ चीन पर हर समय मंडराता रहता है। महज 20 लाख की आबादी वाले अफ्रीकी देश-बोत्सवाना ने दलाई लामा को अगले महीने अपने यहां आमंत्रित किया है। स्वतंत्रता के समय यह अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब देशों मे से एक था जिसका सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति मात्र 70 अमेरिकी डॉलर था, लेकिन तब से लेकर अब तक बोत्सवाना ने आर्थिक रूप से तरक्की की है और अब इसकी गिनती अफ्रीका के मध्यम आय वाले देशों में होने लगी है। इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है, जिसकी औसत वृद्धि दर 9% की है। इस छोटे मुल्क के न्योता से चीन बौखला गया है। बीजिंग ने इस पर मौन रहने के बजाय अजूबा कमेंट किया है, बोत्सवाना को चीन के हितों का ख्याल रखने के साथ ही चीन की संप्रभुता का भी ध्यान रखना चाहिए। चीन के अखबारों के अध्ययन से पता चलता है कि चीन दलाई लाामा की बोत्सवाना यात्रा से बहुत ही खफा है औऱ वह चाहता है कि यह अफ्रीकी देश उनकी यात्रा टाल दे।

इसके पहले से भूटान के डोकलाम इलाके को लेकर चीन का सीमा विवाद भारत से है। कोई भी देश अपनी फौज को पीछे हटाने को तैयार नहीं है। चीन रोज-रोज भारत को युद्ध की धमकी देकर दक्षिण एशिया में तनाव पैदा कर रहा है। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड से लेकर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक जब-तब भारत और चीन में कोई ना कोई विवाद खड़ा हो जाता है। चीन जम्मू-कश्मीर के 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले अक्साई चिन पर पहले से कब्जा जमाए बैठा है।

बोत्सवाना, एक सुंदर विकसित देश।

बाकी पड़ोसियों को भी वह मौका देख कर कम्युनिस्ट देश-चीन हड़काता रहता है। वियतनाम के पार्सल आइलैंड, मैकलेसफील्ड आईलैंड और साउथ चाइना सी पर भी वह दावा कर पड़ोसियों को चिढ़ाता रहता है। जापान भी उसके नए-नए दावों से परेशान रहता है। कभी ईस्ट चाइना सी तो कभी सेंकाकू आईलैंड तो कभी रायुकू आईलैंड। नेपाल और भूटान के साथ भी उसका रवैया वही है। तिब्बत का हिस्सा बता कर वह कई इलाकों पर अपना दावा ठोक देता है। फिलिपींस के साथ उसका विवाद तो सारी दुनिया जानती है। साउथ चाइना सी को लेकर वह सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया और ताइवान से उलझता रहता है। साउथ चाइन सी इलाके में अमेरिकी लड़ाकू जहाजों और विमानों की आवाजाही से वहां हमेशा तनाव के हालात बने रहते हैं। हद तो यह कि उसके सबसे अच्छे सहयोगी देशों में से एक उत्तर कोरिया भी उसकी विस्तारवादी नीति से परेशान है। एक बात गौर करने वाली है कि चीन सिर्फ पड़ोसी देशों को हड़काता है, पर कहीं भी लड़ता नहीं है। उसे पता है कि वह दुनिया की सबसे तेज अर्थ व्यवस्था है। उसने अगर युद्ध किया तो तरक्की की दौड़ में पिछड़ सकता है।

भारत और चीन के बीच कम से कम 10 मुद्दों पर विवाद हैं। भारत-चीन के बीच 4 हजार किमी की अनिर्धारित सीमा है। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा, वहीं नियंत्रण रेखा है। चीन मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता और अक्सर घुसपैठ की कोशिश करता रहता है। चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है, अरुणाचल के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है। चीन जम्मू-कश्मीर को भी भारत का अंग मानने में आनाकानी करता रहता है जबकि पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा मानता है। चीन ने लद्दाख के कब्जे वाले इलाके में अक्साई चिन रोड बनाकर नया विवाद खड़ा किया है।

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