कर्नाटक में झंडा की राजनीति के मायने

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खबर आ रही है कि कर्नाटक सरकार राज्य के लिए अलग झंडे और सिंबल के लिए एक्शन में आ गई है।  सरकार ने 9 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है, जिसे झंडा  डिज़ाइन  करने और सिंबल तय करने का ज़िम्मा दिया गया है।

संंवाददाता/बंगलोर

झंडा को लेकर कर्नाटक की राजनीति गरमाने लगी है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार आगामी चुनाव  को देखते हुए अपना राज्य अपना झंडा की राजनीति शुरू कर रही है। इस राजनीति के पीछे का सच यही है कि जम्मू कश्मीर की तरह कर्नाटक का अपना अलग झंडा हो। कर्नाटक में इस तरह की मांग कई सालों से चलती रही है। माना जा रहा है कि अगले साल राज्य में होने वाले चुनाव को देखते हुए  सरकार इस कदम को आगे बढ़ा रही है।

खबर आ रही है कि कर्नाटक सरकार राज्य के लिए अलग झंडे और सिंबल के लिए एक्शन में आ गई है।  सरकार ने 9 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है, जिसे झंडा  डिज़ाइन  करने और सिंबल तय करने का ज़िम्मा दिया गया है। कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद इसे कानूनी मान्यता दिलाने का काम होगा। अगर यह फ़ैसला लागू हो जाता है तो जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा राज्य होगा, जिसका अपना झंडा होगा। यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब कुछ ही महीने में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने इस कदम को खारिज करते हुए कहा कि भारत एक राष्ट्र है इसके दो झंडे नहीं हो सकते। जहां एक तरफ बीजेपी की सरकार ‘एक राष्ट्र और एक निशान’ की बात करती है वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार अलग झंडे की मांग करना बड़े विवाद को जन्म दे सकता है। इससे पहले जब 2012 में यह मुद्दा राज्य की विधानसभा में उठाया गया तो उस समय मंत्री गोविंद एम करजोल ने कहा था, फ्लैग कोड हमें राज्य के लिए अलग झंडे की इजाजत नहीं देता।  हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता का प्रतीक है।

खबरों के मुताबिक- कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने यह कदम इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उठाया है। कर्नाटक में अलग झंडे की मांग काफी पहले से उठती रही है, जिसे खारिज कर दिया गया था।  अब देखना होगा कि झंडा को लेकर शुरू हुयी यह राजनीति कर्नाटक में क्या बबाल मचाती है और कांग्रेस को कितना लाभ दिला पाती है।

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