कपड़ा उद्योग को जीएसटी के खिलाफ जारी इसके विरोध प्रदर्शनों तथा गत एक जुलाई से चल रही हड़ताल के चलते अब तक 30 से 40 हज़ार करोड़ के प्रत्यक्ष नुकसान का अनुमान है जिसमें अकेले गुजरात को 10 हज़ार करोड़ का सीधा नुकसान हुआ है।
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/ नई दिल्ली

कपड़ा अथवा टेक्साटाइल उद्योग के लाखों कारोबारी कपड़े को सीधे जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने हड़ताल समाप्त करने के लिए या तो केवल धागे पर कर लगाने अथवा एक अप्रैल 2019 से जीएसटी को लगाने की शर्त रख दी है।
देश में कपडा उद्योग के प्रमुख केंद्र सूरत में हडताल की अगुवाई कर रही टेक्सटाइल बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक ताराचंद कसाट तथा इसकी कोर कमेटी के सदस्य देवकिशन मंगाणी ने बताया कि गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, जेतपुर, जामनगर, कच्छ आदि में पांच से सात लाख कपडा कारोबारी हैं और इससे सीधे अथवा परोक्ष तौर पर लाखों लोग जुडे हैं।राज्य में कपडा कारोबारियों को बिक्री का सीधा नुकसान अब तक करीब दस हजार करोड का हो चुका है जबकि कच्चे माल से जुडे उद्योगों, परिवहन आदि को मिला कर यह 15 हजार करोड तक हो गया है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का यह कहना कि कुछ समय पहले आभूषण पर उत्पाद शुल्क को लेकर हुई लंबी हडताल के बावजूद सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया था और कपडे और जीएसटी के मामले में भी ऐसा ही हो सकता है, सही नहीं है। कपडा बेहद जरूरी वस्तु है जिसके बिना काम नहीं चल सका जबकि आभूषणों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह हडताल स्वत:स्फूर्त है और कल यहां के सभी कपडा बाजार संघों के अध्यक्षों और सचिवों की बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
