शिवसेना के निशाने पर मोदी सरकार

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सामना में पूछा गया कि हर चुनाव में तुम जीतोगे और बचोगे, लेकिन कश्मीर की लड़ाई जीतने वाले हो क्या? कश्मीर देश के नक्शे पर जवानों की बलिदानी के सिवाय बचेगा क्या? इसका जवाब देश को चाहिए। शिवसेना के इस बोल से साफ़ हो गया है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जो चर्चा हुआ उस पर शिवसेना सहमत नहीं है।

अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली 
यह बात और है कि बीजेपी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोबिंद के नाम पर अपनी सहमति दे दी है लेकिन बीजेपी सहयोगी शिवसेना अब भी टकराव के मूड में में है। केंद्र की एनडीए सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कश्मीर और दार्जलिंग के बिगड़े हालात के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक सम्पादकीय में अमित शाह पर निशाना साधा है। शिवसेना ने सामना सम्पादकीय में लिखा है कि “महाराष्ट्र की सत्ता बचेगी! क्या कश्मीर बचेगा, राजनीति की लड़ाई चुनाव जीतने लिए होती है इसीलिए कल महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव हुआ तो उसे जीतने की बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने की।”
सामना में आगे लिखा गया कि अमित शाह और उनके दल की निगाहें मध्यावधि चुनाव जीतने की ओर लगी हैं और हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। मध्यावधि चुनाव में क्या होगा इसकी बजाय हमे चिंता इस बात की है कश्मीर में क्या होगा? हिंसा के दलदल में जल रहे दार्जलिंग का क्या होगा? सामना में लिखा गया है कि फडणवीस की सरकार 5 सालों तक बचेगी ही, ऐसी गवाही अमित शाह ने दी है लेकिन देश के नक्शे पर कश्मीर बचेगा क्या? महाराष्ट्र मध्यावधि का जो होना है वह होगा। अमित शाह कहते हैं कि पहले की तरह मध्यावधि में भी उनकी ही सरकार आएगी। उन्हें जो चाहिए वो राष्ट्रपति होगा। सामना में पूछा गया कि हर चुनाव में तुम जीतोगे और बचोगे, लेकिन कश्मीर की लड़ाई जीतने वाले हो क्या? जवानों की जान बचाएंगे? कश्मीर देश के नक्शे पर जवानों की बलिदानी के सिवाय बचेगा क्या? इसका जवाब देश को चाहिए। शिवसेना के इस बोल से साफ़ हो गया है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जो चर्चा हुआ उस पर शिवसेना सहमत नहीं है।
शिवसेना के इस रवैये को देखते हुए ऐसा लगता है कि अब जबकि बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित हो गए हैं, शिवसेना का विरोध कब तक जारी रहेगा। बीजेपी को लगता है कि राज्यपाल कोबिंद के नाम पर शिवसेना अगर सहमत नहीं भी होगी तो दलित उम्मीदवार के नाम पर विपक्षी राजनीति करने वाली पार्टी भी ना चाहते हुए भी समर्थन करने को बाध्य हो जायेगी।

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