माना जा रहा है कि गोरखा आंदोलन को हवा देने में पूर्वोत्तर के चरमपंथी संगठन भी जुटे हुए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा, ‘आज जो कुछ हो रहा है उसके पीछे एक गहरी साजिश है। एक दिन में इतने सारे बम और हथियार जमा नहीं किए जा सकते।’
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
गोरखलैंड आंदोलन खून से लथपथ है। अलग राज्य की मांग को लेकर दार्जीलिंग में पिछले 10 दिनों से स्थितिकाफी उग्र हो चला है। माना जा रहा है कि गोरखा आंदोलन को हवा देने में पूर्वोत्तर के चरमपंथी संगठन भी जुटे हुए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा, ‘आज जो कुछ हो रहा है उसके पीछे एक गहरी साजिश है। एक दिन में इतने सारे बम और हथियार जमा नहीं किए जा सकते। ‘ उन्होंने कहा, ‘मैं अपने प्राण का बलिदान करने के लिए तैयार हूं, लेकिन बंगाल को विभाजित नहीं होने दूंगी। ममता ने कहा, ‘इस गुंडागर्दी के पीछे कोई आतंकी दिमाग है। हमें सुराग मिले हैं कि उनके पूर्वोत्तर के भूमिगत विद्रोही समूहों के साथ संबंध हैं। कुछ दूसरे देश भी उनकी मदद कर रहे है। स्थिति को काबू में करने के लिए सेना की टुकड़ियां तैनात की गईं और हिंसाग्रस्त जिले के कई इलाकों में उन्होंने फ्लैग मार्च किया।

दार्जीलिंग में जारी हिंसा के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फोन किया और वहां की स्थिति को लेकर उनसे चर्चा की है टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को पर्वतीय जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने और स्थिति सामान्य करने को लेकर राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी है। गौरतलाब है कि बंगाल के पहाड़ी इलाकों का यह आंदोलन पुरे प्रदेश में बंगाली भाषा लागू करने के नाम पर शुरू हुआ है। आंदोलन की शुरुआत भाषा को लेकर हुयी और देखते देखते अलग राज्य की पुरानी मांग पर जाकर टिक गयी है।
