नीतीश ने किसानों के बहाने मोदी को क्यों ललकारा?

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नीतीश की चुनौती: लोकसभा चुनाव के दौरान मोदीजी ने कहा था कि जबतक स्वामीनाथन आयोग की रपट को लागू नहीं किया जाएगा तबतक किसानों की हालत नहीं बदलेगी। अब तो सरकार के 3 बरस हो गए। सरकार स्वामीनाथन रपट को लागू क्यों नहीं करती ? 

अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली

बीजेपी शासित राज्यों में किसान आक्रोश को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया है। अक्सर मोदी की नीतियों के समर्थन में खड़ा रहने के लिए मीडिया की सुर्खियां बनने वाले नितीश कुमार ने कहा है कि देश के किसान अगर आज आंदोलन पर उतरे हैं तो इसमें गलती क्या है ? लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनावों में बीजेपी कहती रही है कि सत्ता में आने के बाद किसानों की सुविधा बढ़ाई जाएगी। फिर आज उनकी मांगों को क्यों नहीं माना जा रहा है? लोकसभा चुनाव के दौरान मोदीजी ने कहा था कि जबतक स्वामीनाथन आयोग की रपट को लागू नहीं किया जाएगा तबतक किसानों की हालत नहीं बदलेगी। अब तो सरकार के तीन बरस हो गए। सरकार स्वामीनाथन आयोग की रपट को लागू क्यों नहीं करती ?

बिहार के सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा है कि कर्जमाफी ही अकेला समाधान नहीं है। नीतीश ने कहा कि किसानों के लिए कर्ज माफी अकेला समाधान नहीं है। अलग-अलग जगहों पर अलग समस्याएं हैं। कहीं किसानों की लागत बढ़ गई है और उत्पादन मूल्य में वृद्धि नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि मोदीजी ने चुनाव के समय कहा था कि लागत पर 50 प्रतिशत जोड़कर समर्थन मूल्य की घोषणा की जाएगी। उन्होंने जीएम सीड को लेकर केंद्र को पत्र लिखा है कि नई प्रकार की बीमारियां शुरू हो गई हैं। कृषि में यह अवधारणा है कि इन बीजों से जितना उत्पादन बढ़ेगा वो उतना ही गलत है। साथ ही उन्होंने लिखा कि फसल बीमा योजना किसानों के लिए नहीं है। नीतीश ने कहा कि जिस किसान ने कर्ज नही लिया वो संकट में नहीं है। बिहार में किसान कर्ज नहीं लेते हैं।उन्होंने ये भी कहा कि इस देश के जाट, मराठा और पाटीदार आरक्षण की मांग कर रहे है, उसके पीछे कारण कृषि संकट ही है।
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान का जवाब देते हुए कहा कि अगर बिहार और उत्तरप्रदेश के एनडीए और बीजेपी के नेता, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है वो सभी लोकसभा के सदस्य पद से इस्तीफा दे दें तो फिर से चुनाव कराने मे मुझे कोई एेतराज नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं कल ही बिहार और उत्तरप्रदेश में एक साथ  चुनाव कराने को तैयार हूं। आपको बता दें कि उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बिहार की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा था कि नीतीश कुमार बताएं कि बिहार में कब मध्यावधि चुनाव कराना है, 2018 या 2017 में?

मोदी सरकार पर यह नीतीश कुमार का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। लेकिन इसके पीछे राजनीति भी छुपी है। नीतीश इस हमले के तहत यह बता दिया है कि जो लोग यह समझ रहे हैं कि वे कभी भी बीजेपी के साथ जा सकते हैं केवल उनकी कल्पना भर है। इसके साथ ही नीतीश ने यह भी सन्देश दिया है कि अगर चुनाव की बारी आती है तो उनकी पार्टी बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी अपनी ताकत बढ़ा सकती है ताकि अगले लोकसभा चुनाव में उनकी और उनकी पार्टी की हालत मजबूत हो सके। नीतीश को उम्मीद है कि अगर चुनाव हो जाए तो उनकी पार्टी बेहतर कर सकती है।
नीतीश कुमार भी लालू प्रसाद की प्रस्तावित 27 अगस्त की रैली का इन्तजार कर रहे हैं। अगर यह रैली सफल रही और लालू प्रसाद के मुताबिक विपक्षी एकता बनती दिखी तो नीतीश कुमार अगले लोकसभा चुनाव के विपक्षी एकता को मजबूत करने में जुटेंगे।

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