लखनऊ में शुरू हुई मूर्तियों और स्मारकों की राजनीति

0
1076

योगी आदित्यनाथ सरकार ने महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की मूर्तियां अंबेडकर पार्क में लगाने का निर्णय लिया है। राजा सुहेलदेव राजभर, अहिल्याबाई होल्कर, सावित्रीबाई फुले, दक्ष प्रजापति, गुहराज निषाद की मूर्तियां लगाने का निर्णय भी लिया गया है।

अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
यूपी की योगी सरकार राज्य में फिर कई  मूर्तियां और स्मारक बनाएगी। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए और जातीय राजनीति को साधते हुए बीजेपी सरकार ने कई मूर्तियां और समारक बनाने का ऐलान किया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम की स्मृति में बनवाए गए पार्कों और स्मारक स्थलों को फिजूलखर्ची और जनता के पैसे की बर्बादी बताने वाली बीजेपी ने अब वहीं मूर्तियां लगाने का फैसला लिया है।
 
अब अंबेडकर स्मारक में अगड़ी जातियों के महापुरुषों की भी मूर्तियां लगेगी। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इसकी पहल करते हुए अब महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की मूर्तियां अंबेडकर पार्क में लगाने का निर्णय ले लिया है। यूपी के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर के अनुसार इन पार्कों और स्मारक स्थलों में महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की मूर्तियां लगाई जाएंगी। साथ ही राजा सुहेलदेव राजभर, अहिल्याबाई होल्कर, सावित्रीबाई फुले, दक्ष प्रजापति, गुहराज निषाद की मूर्तियां लगाने का निर्णय भी लिया गया है। 
उल्लेखनीय है कि बसपा प्रमुख मायावती ने अप्रैल 2009 में लखनऊ में अंबडेकर स्मारक स्थल और पार्क बनवाकर उनमें विभिन्न महापुरुषों की सात फीट ऊंची संगमरमर की मूर्तियां लगवाई थीं। इन स्मारक स्थलों में अंबेडकर, कांशीराम और खुद मायावती के अलावा ज्योतिबा फुले, बिरसा मुंडा, नारायण गुरु, छत्रपति साहुजी महाराज, कबीर दास, संत रविदास और गुरु घासीदास की मूर्तियां लगवाई थीं। इन पार्कों और स्मारकों की चर्चा देश भर में हुयी थी और इसे पैसे की बर्बादी भी कहा गया था। बीजेपी भी इस तरह पैसा बरबाद करने पर मायावती को आरे हाथ लिया था।
अब नए मूर्तियों को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाने लगी है। इस मामले में छात्रों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने आंदोलन की चेतावनी दी है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने कहा कि बहुजन महापुरुषों की पहचान मिटाने के लिए भाजपा सरकार ये काम कर रही है इसका विरोध किया जाएगा। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के छात्र नेता श्रेयत बौद्ध का कहना है कि बहुजन समाज के प्रतीकों को नष्ट करने की यह चाल है। बौद्ध ने कहा है कि जिस तरह की राजनीति चल रही वह कहीं से  ठीक नहीं है। सरकार को सबसे पहले मंदिरों में ओबीसी-एससी और एसटी के लोगों को पुजारी बनाने की पहल करनी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here