विवादित आइलैंड से फ्लाइट शुरू करेगा चीन

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चीन विवादित साउथ चाइना सी के आइलैंड से फ्लाइट शुरू करेगा। अगले एक साल में यह फैसिलिटी शुरू हो जाएगी। बता दें कि साउथ चाइना सी के आइलैंड्स पर कुछ अौर देश भी अपना हक जताते हैं। चीन के विवादित आइलैंड से फ्लाइट शुरू करने के फैसले पर अमेरिका ने एतराज जताया है। पिछले महीने से चीन ने इसी आइलैंड पर पावरफुल मिलिट्री रडार लगाने का काम भी शुरू किया है। 

चीनी मीडिया के मुताबिक पार्सेल आर्किपिलागो (द्वीप समूह) के वूडी आइलैंड से सान्शा सिटी के बीच पैसेंजर फ्लाइट शुरू की जाएगी।इस कवायद का मकसद यह है कि चीन साउथ चाइना सी के आइलैंड्स पर कंट्रोल बनाए रखना चाहता है।वहीं, चीन के इस कदम पर अमेरिका ने कहा है कि आइलैंड से फ्लाइट शुरू करने से अन्य देशों के साथ विवाद और बढ़ेगा।बता दें कि चीन साउथ चाइना सी के ज्यादातर आइलैंड्स पर दावा करता रहा है।

वहीं पड़ोसी देश मलेशिया, ब्रुनेई, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी आइलैंड्स पर दावा करते रहे हैं।माना जाता है कि चीन के साउथ चाइना सी पर दावे की वजह वहां तेल-गैस के बड़े भंडारों का होना है।मेयर झियाओ जी के मुताबिक, दो पैसेंजर्स शिप और एक पुलिस के जहाज को बेस स्टेशन पर तैनात किया जाएगा।सान्शा सिटी और वूडी आइलैंड के बीच फ्लाइट शुरू होने से रीजन में एयर ट्रैफिक सर्विस को बढ़ावा मिलेगा। नेविगेशन और निगरानी रखे जाने से वेदर और एयरोनॉटिक्स रिलेटेड इन्फॉर्मेशन मिल सकेंगी।

कुल मिलाकर, इसके चलते चीन पूरे इलाके की एक्टिविटीज पर नजर रखना चाहता है।अमेरिकी फॉरेन मिनिस्ट्री की स्पोक्सपर्सन एना रिची-एलन के मुताबिक, चीन को साउथ चाइना सी में किसी भी मिलिट्री एक्टिविटी से दूर रहना चाहिए।चीन को कोशिश ये करनी चाहिए कि डिस्प्यूटेड एरिया को लेकर कोई मसौदा तैयार हो सके।अमेरिका और ताइवान ने फरवरी में वूडी आइलैंड पर जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की बात कही थी। वूडी आइलैंड वो जगह है, जहां बड़ी तादाद में चीन ने मिलिट्री डिप्लॉयमेंट किया है। 

चीन के मुताबिक, वह अपनी सीमा में सीमित तौर पर डिफेंसिव एक्टिविटीज कर सकता है। मिसाइल प्लेसमेंट की बात मीडिया की बनाई हुई है।साउथ चाइना सी में पैसेंजर फ्लाइट शुरू करने से दूसरे देशों को भी फायदा होगा।बता दें कि चीन ने नवंबर में वूडी आइलैंड पर आर्म्ड जेट फाइटर उतारे थे।साउथ चाइना सी के विवादित आइलैंड पर चीन एक पावरफुल रडार सिस्टम लगा रहा है।सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ (CSIS) की लेटेस्ट सैटेलाइट इमेजेस में इसका खुलासा हुआ है। 

चीन की दलील है कि जिस तरह अमेरिका हवाई में डिफेंस सिस्टम लगा रखा है, हम भी उसी तर्ज पर साउथ चाइना में यह काम कर रहे हैं। इस पर अमेरिका ने कहा कि हवाई पर विवाद नहीं है, जबकि चाइना सी कॉन्ट्रोवर्शियल है।इस रडार को कॉर्टरॉन रीफ पर बनाया जा रहा है, जो सात आइलैंड्स में से एक है और रणनीतिक नजरिये से बेहद खास है।रडार सिस्टम लगने के बाद साउथ चाइना सी में होने वाली किसी भी एक्टिविटी पर चीन आसानी से नजर रख सकता है।

चीन के दबदबे वाले इस इलाके में रडार सिस्टम का बनना अमेरिका की दखलंदाजी को चुनौती माना जा रहा है।कुछ वक्त पहले चीन यहां के एक विवादित आइलैंड पर ‘सरफेस टू एयर’ मिसाइलें भी तैनात कर चुका है।चीन ने ये कदम इस इलाके में अमेरिका और भारत की ज्वाइंट नेवल पैट्रोलिंग की खबरों के बीच उठाया था।कुछ महीने पहले अमेरिका ने साउथ चीन सागर में चीन के आर्टिफिशियल आइलैंड के पास गाइडेड मिसाइल से लैस जंगी जहाज यूएसएस लासेन भेजा था।

चीन ने दावा किया कि उसने अमेरिकी जहाज का पीछा किया और वॉर्निंग दी थी। वहीं, अमेरिका का कहना था कि उसकी जहां मर्जी होगी, वहां जाएगा।यूएस थिंक टैंक एशिया मैरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव ने कहा है कि चीन पहले ही आर्टिफिशियल आइलैंड पर कई बिल्डिंग्स बना चुका है। यहां उसने कम्युनिकेशन, मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर, हेलिपैड और प्लान्ट बनाए हैं।चीन दक्षिण चीन सागर में 12 समुद्री मील इलाके पर हक जताता है। इस इलाके को ’12 नॉटिकल मील टेरिटोरियल लिमिट’ कहते हैं।

ये इलाका दक्षिण चीन सागर में बने आर्टिफिशियल आइलैंड के आसपास का ही है।चीन के अलावा साउथ-ईस्ट एशिया के कई देश (ताइवान, फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया) भी इस इलाके पर अपना दावा जताते हैं।कुछ वक्त पहले बराक ओबामा के साथ मीटिंग में शी जिनपिंग ने कहा था कि वे इस इलाके में मिलिट्री तैनात नहीं करना चाहते।हालांकि, अमेरिका को लगता है कि चीन यहां मिलिट्री एक्टिविटीज बढ़ा रहा है। इसलिए वह इस इलाके में आवाजाही कर रहा है।