हेराल्‍ड केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सोनिया और राहुल

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सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नेशनल हेराल्ड मामले में निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी किए गए समन रद्द करने से इनकार करने के हाईकोर्ट के फैसले को गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। सुमन दूबे और सैम पित्रोदा ने भी नेशनल हेराल्ड मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सोनिया-राहुल ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत उन्हें समन जारी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा गया था।

दरअसल ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में दोनों की पेशी के लिए कहा था इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों हाईकोर्ट गए थे और हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। अब हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सोनिया-राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है।बता दें कि बीजेपी नेता सुब्रह्मण्य स्वामी की शिकायत के बाद सोनिया-राहुल को समन जारी किया गया था। स्वामी ने यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी के जरिए नेशनल हेराल्ड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया था।

चैरिटेबल कंपनी के तौर पर रजिस्टर इस कंपनी में सोनिया और राहुल की बतौर डायरेक्टर हिस्सेदारी है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में दाखिल अर्जी में आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की 5000 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली। पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जनरल लिमिटेड एजेएल को कांग्रेस ने 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ का लोन दे दिया।

इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास है। इसके बाद के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को एजेएल के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में स्वामित्व मिल गया।

उधर, एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को भूमि के स्थानांतरण में कथित अनियमितताओं के बारे में पूर्व नौकरशाह गौतम चटर्जी की अगुवाई वाली एक सदस्यीय समिति अपनी जांच रिपोर्ट 14 फरवरी को सौंपेगी। एजेएल नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का प्रकाशन करता था जो अब मृतप्राय पड़ा है। पैनल के कामकाज को लेकर संदेह जताए जा रहे हैं क्योंकि चटर्जी इस साल 31 जनवरी को महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।