वोटर्स की चिन्ता छोड़, मोदी साथ योगासन करेंगी ममता

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modi mamtaपश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी के रिश्तों में मिठास कुछ बढ़ती नज़र आ रही है और ये मिठास अब योग तक आ पहुंची है। ममता सरकार ने मोदी की जनधन योजना और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को खारिज करने के साथ स्वच्छ भारत योजना को समर्थन करने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब वह 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरे जोशोखरोश से मनाने की तैयारी में है। ममता सरकार ऐसा अपने सबसे बड़े वोट बैंक यानी अल्पसंख्यक वोटर्स की नाराजगी का खतरा उठाते हुए करने जा रही है।

प्रदेश के युवा विकास मंत्री अरूप बिस्वास ने कहा, ‘बहुत भव्य आयोजन होगा। दीदी (ममता) ने हमें कार्यक्रम का आयोजन बेहतरीन ढंग से करने का निर्देश दिया है।’ बिस्वास योग दिवस के मामले में केंद्र से समन्वय कर रहे हैं। कोलकाता में इस प्रोग्राम के लिए कम से कम 10 योग संगठनों को बुलाया गया है। कार्यक्रम नेताजी इनडोर स्टेडियम में होगा। ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के आध्यात्मिक गुरु श्री रवि शंकर भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। प्रजापिता ब्रह्म कुमारी संगठन की ओर से इसमें शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है।

हालांकि तृणमूल कांग्रेस की इस तेजी पर अल्पसंख्यक समुदाय में नाराजगी झलकने लगी है। कोलकाता में टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना नूरुर रहमान बरकती ने कहा, ‘हमारे लिए योग से ज्यादा अहम नमाज है। इस्लाम में सूर्य प्रणाम या किसी भी तरह के योग की इजाजत नहीं है। हमने अपने लोगों से इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने को कहा है।’

मौलाना बरकती ने एक उर्दू अखबार में एक लेख लिखकर सूर्य प्रणाम के ‘नुकसान’ गिनाए हैं। उन्होंने कहा कि वह ऐसा कार्यक्रम न करने के लिए ममता बनर्जी को मनाने की कोशिश करेंगे। टीएमसी के अल्पसंख्यक सेल के पूर्व प्रेजिडेंट और पार्टी के सांसद इदरीश अली ने कहा कि इस संबंध में मुस्लिम सांसद मुख्यमंत्री से बात करेंगे। उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे पर मेरे पास कई अल्पसंख्यक नेता के फोन आ रहे हैं। वे इससे नाराज हैं। मैंने पूरी बात पार्टी के उपाध्यक्ष सुल्तान अहमद को बता दी है। बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय के सभी सांसद दीदी से अपील करेंगे कि वह इस कार्यक्रम पर दोबारा विचार करें। हम जानते हैं कि वह सांप्रदायिक सद्भाव की प्रतीक हैं।’

टीएमसी के उपाध्यक्ष सुल्तान अहमद ने हालांकि कहा, ‘हमने साफ कर दिया है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुसलमानों पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। लोग खुद फैसला करें कि वे योग करना चाहते हैं या दूसरी कसरत।’