भारतीय मूल के दो किशोरों ने जीती स्पेलिंग बी

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भारतीय मूल के दो अमेरिकी बच्चों ने सालाना ‘स्क्रिप्स नैशनल स्पेलिंग बी’ प्रतियोगिता में अपना वर्चस्व बरकरार रखते हुए लगातार आठवें साल यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जीतकर इतिहास रचा है। यह लगातार दूसरी बार है, जब भारतीय-अमेरिकियों ने ऐसी साझा जीत हासिल की है।

वन्या शिवशंकर (13) और गोकुल वेंकटचलम (14) को सह-विजेता घोषित किया गया। दोनों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच गोल्डन ट्रॉफी को एक साथ उठाया। दोनों विजेताओं में प्रत्येक को 37,000 डॉलर (23.61 लाख रुपये) से अधिक की नकद पुरस्कार राशि दी जाएगी। यह लगातार आठवां साल है, जब भारतीय मूल के अमेरिकियों ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को जीता है। पिछले 18 बरस में यह भारतीय अमेरिकियों को मिली 14वीं जीत है।

बहन भी रही हैं विजेता : ऐसा पहली बार हुआ है जब एक पूर्व चैंपियन की बहन या भाई ने पुरस्कार जीता है। ओकलाहोमा के भारतीय अमेरिकी कोल शेफर-रे को तीसरा स्थान मिला। वन्या ने यह पुरस्कार अपनी दिवंगत दादी को समर्पित करते हुए कहा कि ऐसा लगता है मानो एक सपना सच हो गया हो। मैं लंबे समय से इसे चाहती थी। वन्या की बहन काव्या शिवशंकर ने वर्ष 2009 में यह प्रतियोगिता जीती थी। स्पेलिंग बी में पांचवीं और आखिरी बार भाग लेने वाली 13 वर्षीय वन्या कंसास से हैं और आठवीं की छात्रा हैं

भारतीयों पर नस्ली कमेंट : सोशल मीडिया पर गुरुवार को विभिन्न तरह की नस्ली प्रतिक्रिया आई थी। फाइनल का सीधा प्रसारण करीब 10 लाख लोग देख रहे थे और लोगों ने प्रतिस्पर्धा में गैर अमेरिकियों के दबदबे पर पक्षपातपूर्ण पोस्ट किए थे। ट्विटर पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘मेरी इच्छा है कि एक साल अमेरिकी बच्चा इसे जीते।’ एक अन्य ट्वीट में था, ‘स्पेलिंग बी में भाग लेने वाले बच्चे अमेरिकी ही होने चाहिए।’

इससे पहले भारतीय मूल के विजेताओं के खिलाफ हो रही नस्ली टिप्पणी पर बी के निदेशक पेजी किंबले ने आलोचना की। अमेरिकी आबादी में भारतीय अमेरिकी एक फीसदी से भी कम हैं लेकिन बी के 88वें संस्करण में हिस्सा ले रहे 285 में 20 फीसदी से ज्यादा वे ही हैं। अगर हालिया रुझान जारी रहा तो प्रतिस्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले 50 में एक तिहाई से ज्यादा होंगे।